व्यवस्था की जातिवादी विसंगति पर प्रहार करता नाटक "कोर्ट मार्शल'
दैनिक म्हारो स्वदेश
हरदा /संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार की आयोजन अनुदान योजनान्तर्गत , इंटेलेक्चुअल पब्लिक वेलफेयर एंड ट्रेनिंग फ़ॉर आर्ट सोसायटी हरदा द्वारा आयोजित तीन दिवसीय नाट्य समारोह की दूसरी संध्या पर स्वदेश दीपक के नाटक "कोर्ट मार्शल" का मंचन संजय तेनगुरिया के निर्देशन में किया गया।
संसार में किसी भी सभ्य देश की सेना में गंभीर अपराध करने पर कोर्ट मार्शल होता है।कोर्ट मार्शल के निर्णय के विरुद्ध किसी भी सिविल कोर्ट में अपील नहीं कि जा सकती। यह नाटक इस सच को सामने लाता है कि क्या स्तिथियाँ थीं जिस कारण एक अनुशासन प्रिय सैनिक अपने ही अफ़सर पर हथियार उठा बैठा। हम ऐसे समाज मैं रहते हैं जो कानून व्यवस्था पर टिका है। समाज ने, कानून ने, व्यवस्था ने विरोध प्रकट करने के लिए बना रखें हैं रास्ते, मिलों लम्बे रास्ते। लेकिन प्रश्न तो यह है कि विरोध प्रकट करने के ये रास्ते कहीं पहुँचते है भी या नहीं?
नाटक की पटकथा हमें आज भी सोचने विचारने और किसी निर्णय पर पहुँचने के लिए प्रेरित करती है कि क्यों एक सीधा साधा और अनुशासन प्रिय सैनिक अपने ही अफसरों पर गोली चला बैठा?
इन प्रश्नों का जबाब मिलता है जो उन प्रवृत्तियों में जाकर मिलता है जिनसे हम अभी मुक्त नहीं हुए है ,बराबर की बात तो दूर सोचने के स्तर पर भी हम अपने से छोटों को बराबर का अधिकार देने के लिए तैयार नहीं है। हम तो आँख उठाकर अपनी और देखने तक का हक देने को तैयार नहीं है। इसका कारण है वे सामंती प्रवृत्तियां , जिनसे आज तक हम आज़ाद नहीं हुए है।
पात्र मंच पर
कर्नल सूरत सिंह - संजय तेनगुरिया, कैप्टन विकाश राय- इरशाद खान, मेजर अजय पूरी-विशाल भाटी, सूबेदार बलबान सिंह- अतुल जोशी,डॉ गुप्ता-सुरेंद्र राजपूत, बृजेन्द्र रावत- शुभम शर्मा, रामचन्द्र- सुरेंद्र चौहान, सलाहकार जज-शेख मुईन, अंजली अग्रवाल, कैप्टन कपूर- वीरेंद्र पंचोली, गार्ड- तुषार सेन , सैनिक- गणेश मादुलकर, प्रखर पाराशर, नीतू शर्मा, जान्ह्वी तोमर, कंचन शर्मा।
तकनीकी सहयोग- रिमझिम तेनगुरिया, प्रदीप त्रिपाठी, मौसमी डाले ने किया
नाटक का सह निर्देशन इरशाद खान के किया