मां नर्मदा जयंती पर विशेष
नदियों से यह कैसी दोगला ई,,,,,,,? ठाकुर भगत सिंह चौहान,,,,, हमारी संस्कृति हमारी सभ्यता नदियों की बदौलत ही है और हम इन्हें मां कह कर बुलाते हैं क्योंकि आज जो वैभव नजर आ रहा है सब नदियों पहाड़ों और हमारी खनिज संपदा की बदौलत ही है इसीलिए हम प्राकृतिक संसाधनों की पूजा करते हैं यह वास्तविक है किंतु हम अपना फर्ज सही ढंग से नहीं निभा पा रहे हैं नदियों का संरक्षण के नाम उनको शोधन ही कर पा रहे हैं जबकि नदियों से करोड़ों लोगों का जीवन निर्भर है तथा जीवन प्रदान कर रही है फिर भी नदियों का संरक्षण की जगह हम उसे गंदगी के शपथ छोड़ दे रहे हैं यह सब आंखें होते हुए भी हो रहा है संरक्षण की कहकर अब इन्हें नहीं बचा सकते नदी के संरक्षण के लिए स्वयं सबको आगे आना होगा क्योंकि नदियां हमारी मां है हर बेटे का कर्तव्य होना चाहिए कि इसका संरक्षण किया जाए तथा गंदगी से मुक्त किया जाए मां नर्मदा नदी की हम बात करें तो अमरकंटक से लेकर खंभात की खाड़़ीतककरोड़ों लोगों का जीवन यापन मां नर्मदा के जल से ही हो रहा है यही नहीं करोड़ों जीव जंतु इस की गोद में पल रहे हैं * सरकार की लापरवाही के कारण नर्मदा के बीचो बीच मशीनों के द्वारा मां नर्मदा का आंचल छलनी किया जा रहा है कहीं कहीं पर तो शहर का का गंदा पानी तथा फैक्ट्रियों से निकलने वाला रासायनिक गंदा पानी से भी मां नर्मदा मैं गंदगी फैलाई जा रही है कहीं-कहीं तो मां नर्मदा गुप्त नर्मदा की तरह गुप्त हो गई है शहडोल के आसपास के इलाके में इसका प्रत्यक्ष प्रभाव देख सकते हैं उधर के ग्रामीण इलाकों में बड़ी दूर दूर से से पानी की पूर्ति की जाती है इसका मुख्य कारण यह है कि मां नर्मदा को लालच और स्वार्थ के चलते जगह-जगह से खंड खंड कर दी गई है अगर मां नर्मदा के संरक्षण में सही निर्णय नहीं लिया गया तो आने वाले समय में कई जगह नर्मदा गुप्त नर्मदा में तब्दील हो जाएगी मां नर्मदा के भक्तों से अपेक्षा है कि प्रत्यक्ष आगे बढ़कर मां नर्मदा के संरक्षण की बात करनी चाहिए जाति धर्म से हटकर सभी मनुष्य को नदी में गंदगी गंदगी डालने का विरोध करना चाहिए क्योंकि नदिया पर्वत और हमारे प्राकृतिक संसाधन किसी जाति धर्म के आधार पर हम प्रकृति संसाधनों का शोधन नहीं करते और प्राकृतिक संसाधन भी किसी जाति धर्म पूछ कर नहीं देते उनके लिए तो सभी पुत्र है नदियों केेेेेे संरक्षण की बात कहे तो आज नदियोंंं में गंदगी का अंबार लगाााा हुआ हम प्रदेश की या देश की क्या बात करें हमारे जिलेेे की नदियों की दुर्दशा की बात करें तो नदियों का संरक्षण केवल कागजों पर ही कर पा रहे हैं फोटो खिंचवाने से या साल 2 साल में तकारी दो तकारी नदियों के पास जाकर भीड़़ इकट्ठा करने से भी नदियों का संरक्षण नहींं हो सकता नवागत कलेक्टर श्री गर्ग से अपेक्षा है कि नदी की गंदगी से नदियों को मुक्त कराने में महत्वपूर्ण भूमिकाा निभाएंगे हरदााा नगर की पहचान कहलानेे वाली अजनाल नदी और इससे जोड़ी गई अन्य नदिया गंदगी के कारण पीड़ित है जबकि हरदा नगर की जल व्यवस्था इन नदियों कीीी बदौलत ही थी इन नदियों में नगर की नालियों का गंदा पानी सीधा जोड़ा गया है कहीं-कहीं पर इन नदियों में गंदेेे नाले भी जोड़े गए हैं जबकि अजनाल नदी संरक्षण को लेकर पूर्व में अजनाल उत्सव भी मनाया गया किंतु वास्तविक स्वरूप में आज अजनाल गंदे नालेेे
की स्थिति केे जिम्मेदारों को कोस रही है