देखो बसंत आया,,,,,प्रकृति में यौवन छाया,,,, हरियाली सी  चुनरी डाली पर्वतों की


शाखाओं ने, पलाश के फूलों ने मांग भरी सिंदूरी , देखो बसंत आया, प्रकृति में यौवन छाया, फूलों पर बोहरे का मंडराना , तितलियों का खेल खिलौना, मयूर का नाच सुहाना, देखो बसंत आया,,,,,,,,,,,,,,,,, झरने और पोखर का गुनगुनाना, कोयल का गीत सुहाना, पेड़ों का मुस्कुराना, देखो बसंत आया,,,,,,,,,,,,,,, प्रकृति में यौवन छाया,,,,, 

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