सैलाब हुए होंगे,,,,,,




यहां मेहंदी भी क्या मेहंदी थी, जो पिया मिलन के दिन ही रूठ गई, पियासी का इंतजार तो देखो, इंतजार के आंसुओं में ही मिट गई, पुलवामा के उस पार्क में देखो, कितनी जवानियां मिट गई, फूलों से कितनी लाशें सज गई, मां बाप के क्या हाल हुए होंगे, पियासी के आंसू भी सैलाब हुए होंगे , प्यार के इस दिन कई अरमा मातम हुए होंगे, आओ हम सब उनको याद करें, 2 मिनट का मौन रखकर शत शत प्रणाम करें

दैनिक म्हारो स्वदेश, ठाकुर भगत सिंह चौहान संपादक

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