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दैनिक म्हारो स्वदेश, 

भगत सिंह चौहान



हिंदी भाषा नहीं भारत का स्वाभिमान है


, भारत माता का शृंगार है






आज हिंदी दिवस पर हम संकल्प लें हम अधिक से अधिक अपने घरों से लेकर हर जगह हिंदी का उपयोग करें


 आज पूरा भारत हिंदी दिवस मना रहा है हिंदी दिवस पर हिंदी के विकास की बात पर बहुत जोर दिया जाता है हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने की बड़ी-बड़ी बात मंच से लगाई जाती है किंतु आजादी के 75 वर्ष होने के पश्चात भी हिंदी को अपना अधिकार नहीं प्राप्त हो सका हिंदी को राष्ट्रभाषाका दर्जा नहीं मिल पाया इसका मुख्य कारण बस यही है इसकी हम हिंदी दिवस पर ही हिंदी को याद करते हैं हमारे नेता भी हिंदी दिवस पर बड़े-बड़े भाषण बोलकर भूल जाते हैं आज हिंदी भाषा अपने घर में ही पराई है जबकि हिंदी भाषा भारत माता की बिंदी है हिंदी भाषा अधिक से अधिक क्षेत्रों में बोली जाती है फिर भी हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं मिल पा रहा है यह सरल और सहज भाषा है हिंदी भाषा ने साहित्य क्षेत्र में काफी उन्नति की है किंतु हिंदी भाषा को अपने देश में ही पराई समझा जा रहा है आम जनमानस से लेकर सरकारी तंत्र तक इंग्लिश का बोलबाला है टूटी फूटी इंग्लिश से हम अपने को बड़ा होशियार समझते हैं और किसी दूसरे के साथ हम भी भेड़ चाल चलने लगते हैं जबकि मातृभाषा सरल और सहज और इससे उसका अधिकार मिलना चाहिए इसका अधिकार सबसे पहले तो अपने घरों से ही प्रारंभ हो जाता है घर में अगर चार मेहमान आ जाते हैं तो हम टूटी फूटी इंग्लिश का रोक कर कर अपना प्रभाव दिखाने की कोशिश करते हैं किंतु हिंदी नहीं बोलकर हम हिंदी का अपमान तो करते ही हैं साथ में सामने वाले को भी हिंदी के प्रति अपमानित करने से पीछे नहीं छोड़ते हिंदी दिवस पर हम सब को संकल्प लेना चाहिए कि हम अधिक से अधिक अपनी मातृभाषा का प्रयोग करें हाय हेलो छोड़े और हिंदी का उपयोग करें और एक सच्चे देशभक्त बनकर हिंदी को उसका अधिकार दिलाएं आप या ना समझे कि हम हिंदी बोल कर किसी के सामने लज्जित हो रहे हैं हिंदी भाषा हमारे देश की मातृभाषा है या भारत माता की भाषा है देश को आजादी 75 वर्ष हो चुके हैं किंतु हिंदी भाषा को आज भी गुलामी की जंजीरों से आजादी प्राप्त नहीं हो पा रही है समस्त हिंदी भाषा के प्रेमियों से मेरा अनुरोध है कि अधिक से अधिक हिंदी भाषा का प्रयोग करें जब हम सब हिंदी भाषा का प्रयोग करेंगे तो हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा मिलने से कोई नहीं रोक सकता आमजन की भाषा में हम हिंदी को ही प्राथमिकता दें मुझे किसी क्षेत्रीय भाषा से विरोध नहीं है किंतु हर राष्ट्रीय भाषा होती है वह अपनी अस्मिता होती है वहां अपने देश का सम्मान होता है हर देश में अपने अपने देश की भाषा बोली जाती है किंतु हिंदुस्तान ही ऐसा देश है जिसमें हिंदी बोलने में लोग लज्जित महसूस करते हैं या हमारी भूल है मातृ भाषा बोलने से मातृभूमि के प्रति प्रेम झलकता है आज हिंदी दिवस पर हम संकल्प लें हम अधिक से अधिक अपने घरों से लेकर हर जगह हिंदी का उपयोग करें जय हिंद जय भारत

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